क्रोध, ताव या गुस्सा एक ऐसी भावना है जिसकी उपज भय या झूठ से हो सकती है। यह मानव के लिए हानिकारक है हृदय की गति को बढ़ा देता है।

दुनिया में झूठ भी दो तरह का होता है-

एक वह जो सत्य और दूसरों की सहायता के लिए बोला गया हो

दूसरा वह जो अपने फायदे के लिए बोला गया

आज के दौर में हम सभी दूसरे नंबर का ज्यादा इस्तेमाल करते हैंऔर झूठ से ही मन में भय उत्पन्न होता है यह मानव की कायरता को भी दर्शाता है। परिस्थिति और जिम्मेदारियों का बोझ ना झेल पाना भी गुस्सा करने का ही संकेत है।

मानव को गुस्सा तब भी आता है जब वह सत्य की राह पर हो और समाज उसको झूठा बना दे और तब वह अपना धैर्य खो दे या यूं कहें अपने पर लगे आरोपों से अपनी रक्षा के लिए गुस्सा करता है।

क्रोध हमारी सोचने समझने की शक्ति तथा धैर्य को कम करता है इसीलिए सत्य की राह पर चलें और धैर्यवान बने।

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